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Friday 1 September 2017
Yaad
ज्यादा सोच तो नहीं सकता अब
पर उसकी बचकानियाँ याद रह गयीं
सोच कर मुस्कुरा तो नहीं सकता अब
पर उसकी शैतानियां याद रह गयीं
मुस्कुरा कर भुला तो नहीं सकता अब
पर उसकी नादानियाँ याद रह गयीं
भुला कर उसे पा तो नहीं सकता अब
क्यूंकि उसकी मनमानियां याद रह गयीं |
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