सोच कर आज तुम्हारे बारे में मैं ये सोचता रह गया की क्या मेरा तुमसे मिलना सही था
यही सोच सोच कर परेशान रहता हूँ और तुम्हारे अलावा और कुछ सोच नहीं पाता
घर वाले भी कहते हैं क्या सोचते रहते हो किसके बारे में सोचते रहते हो
मैं फिर भी नहीं मानता क्यूंकि सच तो ये है की मैं चाह कर भी तुम्हारे बारे में
सोचना बंद नहीं कर सकता |सोच समझकर मैंने ये फैसला लिया हजारों बार
की अब ना सोचूंगा तुम्हारे बारे में फिर सोचा नहीं सोचूंगा तो कवितायेँ कैसे लिखूंगा
अब तो हर सोच में तुम हो और तुम हो तो हर सोच है
अब तो यही लगता है की ये सोच है तो तुम हो वरना तुम हो ही नहीं
जितनी गहरी सोच उतनी गहरी तुम्हारी यादें |
यही सोच सोच कर परेशान रहता हूँ और तुम्हारे अलावा और कुछ सोच नहीं पाता
घर वाले भी कहते हैं क्या सोचते रहते हो किसके बारे में सोचते रहते हो
मैं फिर भी नहीं मानता क्यूंकि सच तो ये है की मैं चाह कर भी तुम्हारे बारे में
सोचना बंद नहीं कर सकता |सोच समझकर मैंने ये फैसला लिया हजारों बार
की अब ना सोचूंगा तुम्हारे बारे में फिर सोचा नहीं सोचूंगा तो कवितायेँ कैसे लिखूंगा
अब तो हर सोच में तुम हो और तुम हो तो हर सोच है
अब तो यही लगता है की ये सोच है तो तुम हो वरना तुम हो ही नहीं
जितनी गहरी सोच उतनी गहरी तुम्हारी यादें |
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