जब सब साथ हैं
जब सब पास हैं
क्यों अकेला हूँ मैं
जब इतना शोर है चारों तरफ
आबादी का जोर है चारों तरफ
क्यों इतना तनहा अकेला हूँ मैं
जब हर कदम पर नए दोस्त बनते हैं
फिर हर मोड़ पर राह बदलते हैं
जब कभी किसी से प्यार हो जाता है
फिर पल भर में साथ छूट जाता है
जब हर किसी पर जल्दी विस्वास हो जाता है
फिर बेचारा जिंदगी भर धोका खाता है\
जब सारे वादों को तोड़ा जाता है
फिर जिंदगी को नए आकार मैं मोड़ा जाता है
जब पूरी दुनिया एक सोच में सिमट जाती है
की कोई किसी का नहीं सब वक़्त का खेल है
ये दुनियादारी फिर बाद में समझ आती है
सायद इसीलिए अकेला हूँ मैं
हाँ इसीलिए अकेला हूँ मैं |
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