अजीब सी भवर में फसें हैं हम
ना किसी को अपना पा रहे हैं
ना किसी को भुला पा रहे हैं
ना किसी को मना पा रहे हैं
ना किसी की यादें मिटा पा रहे हैं
अजीब सी कश्मकश में फसें हैं हम
ना किसी को दिल की बात बता पा रहे हैं
ना किसी को दिल का हाल सुना पा रहे हैं
ना किसी से नजरें मिला पा रहे हैं
ना किसी से नजरें हटा पा रहे हैं
अजीब सी दुविधा में फसें हैं हम
ना किसी के ख्यालों में जा पा रहे हैं
ना किसी सपनें भुला पा रहे हैं |
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