घर
आज भी याद है जब पेहली बार घर छोड़ रहा था
हल्की सी खुशी थी चेहरे पर,पर मन ही मन रो रहा था
सोच रहा था कोई रोक ले मुझे जाने से
फिर पता नहीं कब आऊंगा इस आशियाने में
सारी यादों को एक साथ सजों रहा था
जब मैं पेहली बार घर छोड़ रहा था |
मैंने पापा से जिद की थी मुझे बाहर पढ़ना है
मेरे सारे दोस्त जा रहे हैं मुझे घर नहीं रहना है
मेरे सारे दोस्त जा रहे हैं मुझे घर नहीं रहना है
माँ भी मेरी मेरे पास थी
ये जानते हुए भी कैसे रहूंगी बेटे बिना
फिर भी वो मेरे साथ थी
ये जानते हुए भी कैसे रहूंगी बेटे बिना
फिर भी वो मेरे साथ थी
आज माँ के हाथों का खाना खाये बिना सो रहा था
मुझे याद आ गया जब मैं घर छोड़ रहा था |
न कोई चिंता न कोई काम था
अब वो बस एक सपना ही लग रहा था
याद आ गया घर छोड़ना कैसा लग रहा था |
-VSG
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